ना जाने कहीं से एक ऐतवार आया
मैसेज पर मैसेज का बौछार आयासोते जागते उसी की खयाल आया
ना जाने किस मोड़ पर प्यार आया
दिल में उसकी मैं था पर कहने से वो शर्माती थी
उसकी हर बात की एक मीठी रिप्लाई मुझको भाती थी
दिल की बात मुझको बोलने से वो छुपाती थी
ना जाने उसकी कौन सी धर्म और जाति थी
2 दिन बीत गए तब मैने सोच लिया
तीसरे दिन जाकर मैंने उसे प्रोपोज किया
वो दो दिन तक लगभग इतराई थी
हम दोनों को दोस्ती की नाता बताई थी
दोस्ती की नाता मैंने अस्वीकार किया
तब जाकर उसने मुझसे प्यार किया
प्रेम रोग एक ऐसी माया है
धूप लगे तो छतरी के जैसी छाया है
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1 टिप्पणियाँ
बढिया 👌👌
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