छठ पूजा की महिमा
एक घने जंगल गाँव थे उसके आस पास ना तो कोई शहर ना ही कोई गाँव उस गाँव में लगभग 150 घर थे सभी एक दूसरे से मिल जुल कर रहते थे
एक दिन एक भटका हुआ आदमी उसी जंगल में भटक गए थे ।
जंगली लोगों ने उसे देखा तो पकड़ कर उस गाँव का मुखिया के सामने लाया
मुखिया ने पूछा तू इस जंगल में मेरे गाँव के आस पास क्यों भटक रहे हो और तुम्हारा इरादा क्या है।
आदमी ने बोला हजूर हम मिलों दूर से इस जंगल में आए है जरी बूटी ढूंढने लेकिन अब हमको पता नहीं चल रहा है की किस दिशा से आ रहा हूं।
मुखिया ने बोला अगर तुम्हारी बात झूठी साबित हुई तो तुम्हे फांसी की सजा दी जाएगी ।
आदमी ने बोला हजूर मुझे मंजूर है मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं कई दिन से भूखे प्यासे जंगल में भटक रहा हूं कभी कुछ मिला तो खा लिया नहीं तो चार चार दिन भूखे रहना पड़ा , तब मुखिया ने अपनी पत्नी को बोली इसे खाना खिलाओ
उस आदमी को खाना खिलाया गया और उसके झोले की तालिसी ली गई तो उसमे कुछ जड़ी बूटियां मिली मुखिया ने बोला जब तक तुमारा रास्ता नहीं मिल जाता तुम इस गांव में रह सकते हो, वो आदमी इसी गाँव में रहने लगा तभी उसे मालूम पड़ा कि मुखिया की कोई संतान नहीं है,
छठ का पर्व आने वाला था ।
वो आदमी ने मुखिया से बोला अगर आपकी पत्नी या आप छठ का व्रत करेंगे तो छठी मैया खुश होगी तो आपके घर संतान की प्राप्ति होगी ।
मुखिया ने बारी उत्सुकता से कहा क्या होता है छठी मैया और व्रत क्या होता है आप हमें बताइए हम संतान के लिए कुछ भी करेंगे ।
आदमी ने छठी मैया का सभी पान प्रसाद और विधि बता दिए उस गाँव के लोगों ने बड़े धूम धाम से छठी मैया की व्रत किए ।
कुछ दिन बाद मुखिया के पत्नी ने मुखिया को दुनियां के सबसे बड़े खबर सुनाई की आप पिता बनने वाले है ।
मुखिया खुशी के मारे झूम उठे मुखिया सबसे पहले छठी मैया को प्रणाम किए और उस आदमी को ये खबर सुनाई आदमी भी बहुत खुस हुए ।
मुखिया ने पूरे गाँव में भोज किए सभी छठी मैया की जय जयकार लगाए ।
कुछ दिन बाद मुखिया को संतान की प्राप्ति हुई , मुखिया ने फिर धूम धाम से पूरे गाँव में भोज किए ।
उस आदमी का भी अपना रास्ता मिल गया वो भी पाने घर चले गए।
उसी साल से हर साल उस गाँव में छठी मैया की पूजा बड़े धूम धाम से होने लगी ।
अगर मन में आस हो तो
मैया तुम्हारे पास हो
लेखक :- Shailendra Bihari
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