पिया मिलन , PIYA MILAN , HINDI POEM

घूंघट में छुपी थी नूर ।
मैं भी देखने के लिए था मजबूर ।।

थोरी सी मुस्कुराहट थी
मिलन की धीमी सी आहट थी

पहली मिलन की वो रात थी ।
छत पर थोड़ी थोड़ी बरसात थी ।।

हिरनी जैसी उसकी आंखें थी ।
मैसम भी बरसातें थी ।।

मिलन की क्यों जल्दी थी ।
उसकी भी मन मचल गई थी ।।

घूंघट उठाई अबकी बारी।
वो शर्मा गई नारी ।।

नारी वो प्यारी थी ।
पिया मिलन की तैयारी थी ।। 

लेखक :- शैलेंद्र बिहारी 


Shailendra Bihari  Kavita 

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