चल राही राह पर
भटक न जाना कहीं गुमराह पर
जिंदगी की राह बहुत बड़ा
तुम्हे चलना है अब क्यों खरा
चलता बन अब ना कर देर
तुम्हे चलना है मंजिल के फेर
मंजिल न ही आगे न पीछे
मेहनती को मंजिल अपने आप खींचे
लेखक : शैलेंद्र बिहारी
Shailendra Bihari Kavita
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