माँ .............................................................
माँ ही मंमता माँ ही प्यार
माँ ही रुतवा माँ ही दुलार
माँ ही देवी माँ ही दर्पण
माँ से बड़ा कोई ना अर्पण
माँ ही मेरी पहली शिक्षा
माँ ने दी जीवन की भिक्षा
माँ हो तो जग जित जाऊ
माँ का कर्ज कभी ना चूका पाऊ
माँ देवी का वह है रूप
जिससे बना संसार का सुंदर स्वरूप
माँ से बडी कोई न दूजा
माँ से बनी सबकी बल भुजा
माँ अपनी हो या परायी
पर उसकी प्यार सबपे न्यारी
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