कमल 🌷🌷🌷

 फूटा मोती निकली बेल

देख तमाशे इसके निराले खेल

पानी रहती दलदल रहती

बहते पानी कभी ना टिकती

दलदल में हैं, अपने मन की करती

पैर पसारे बेले लहराएं

पत्ते पत्ते पर है कमल खिलाएं

फूटा मोती.........

बीच भंवर में बनकर राजा

प्रजा पर है हुक्म चलाता 

किनारे पर है बेले छोड़ी

कुछ ही पत्तो पर है अपना हक जताता 

फूटा मोती..... 

अपनी भीनी भीनी खुशबू से बहकाता

अपने रंग से है सबको लुभाता 

अपने अंश को तालाब में देकर

है दूजा फूल खिलाता 

फूटा मोती...... 

बनकर बैठा फूलों राजा

सब पर है हुक्म चलाता  

जगह देखकर आगे आता

पूजा में है पहले नाम लिखाता 

हैं। कमल का आशियाना ऐसा

सबको अपनी ओर बुलाता हैं।

फूटा मोती..........





                             

 Priyanaka sharma "prinshu"


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