ख्वाब आँखों में जो पलने लगा

 ख्वाब आँखों में  पलने लगा,

इक जमाने को  खलने लगा, 

झांकने की इजाजत नहीं ,

आज औरत को सलने लगा।।

ख्वाब आँखों में  पलने लगा!


मैं तो धरती हूँ मेरा है क्या,

ये ख्याल मन को छलने लगा,

मुझको   उड़ने का हक जो नहीं,

फिर भी पर मेरा खुलने लगा,

ख्वाब आँखों में  पलने  लगा!


ख्वाब क्यों देखता है ये मन,

क्यों खिलें चाहतों के सुमन,,

ख्वाब पर तो नहीं जोर है,

मन तो मन है मचलने लगा,

ख्वाब आँखों में  पलने लगा! 


बस यही है कहानी मेरी,

सिर्फ आंखों में पानी मेरी ,

लोग मारेगें ताने मुझे ,

सोच कर ख्वाब धुलने लगा,

ख्वाब आँखों में  पलने लगा!


 ख्वाब से पलकें  भारी हुईं, नींद जैसे कटारी हुई,

जिन्दगी ख्वाब ही बन गई,

ख्वाब कोरों से ढलने लगा,

ख्वाब आँखों में  पलने लगा!


ख्वाब आँखों में  पलने लगा,

इक जमाने को  खलने लगा, 

झांकने की इजाजत नहीं ,

आज औरत को सलने लगा।।

ख्वाब आँखों में जो----!

श्वेता कुमारी,🙏🏼🙏🏼



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