खूब दिल कह रहा | श्वेता | Hindi Kavita

 

आज लिखने को खूब दिल कर रहा ,
न जाने क्यों दिल है उमंगों भरा,
मन के आँगन में शब्दों की बारिश हुई,
दिल कहे फिर कलम मचल ले जरा,
आज लिखने को खूब दिल कह रहा!

ना मन में कोई तू संकोच रख,,
जो  दिल में दबी तू सब सोंच रख,
लिख डालूँ वो सब आज मन कह रहा,
गुनगुनाले मुझे हर शब्द कह रहा ,
खूब लिखने को आज दिल कह रहा!

ना उम्र की रोती कहानी तू लिख,
हँसती -खिलती  जिन्दगानी तू लिख,
खूल के जीने को हर गुल कह रहा,
हँसी मौसम हुआ तू भी हो कह रहा,
आज लिखने को खूब दिल कर रहा!

ना  रंजिश की कोई कहानी तू लिख,
ना राजा तू लिख ना रानी तू लिख ,
थोड़ा हटकर कुछ तो लिख कह रहा,
बदली हवा  संग बह कह रहा ,
खूब लिखने को आज दिल कह रहा!

दिल के पन्नों पर फड़फड़ाहट हुई,
मन के सागर तले सुगबुगाहट हुई,
शब्दों के मोती पकड़ कह रहा,
नये सुर की माला पीरो कह रहा,,
खूब लिखने----!

बहुत सुन ली सबकी अब अपनी सुनूँ,
धुन अपनी सुनूँ ख्वाब अपने बुनूँ,
अपने मन की अब तो सुन कह रहा,
तोड़ बंदिश उड़ तू गगन कह रहा,
आज लिखने को खूब दिल कह रहा!

आज लिखने को खूब दिल कह रहा,
न जाने क्यों दिल है उमंगों भरा,
मन के आँगन में शब्दों की बारिश हुई
दिल कहे फिर कलम से मचल ले  जरा,
आज लिखने को खूब मन कह रहा!

श्वेता कुमारी✍️🙏




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