आठवें दिन
जब मैं आज सुबह सो कर उठा तो देखता हूं, साक्षी के 8 मिस्ड कॉल आए हैं । मैं तुरंत उसपे कॉल लगाया तो वो कॉल उठा ली ।
साक्षी : हेलो
मैं : 8 बार कॉल की हो मैं सो रहा था ।
साक्षी : क्यों इतना देर तक सो रहे थे
मैं : देर रात को सोए इसलिए
साक्षी : क्या कर रहे थे रात भर
मैं : कुछ नहीं किसी की याद आ रही थी
साक्षी : कौन है वो
मैं : है कोई प्रेमिका
साक्षी : नाम बोलो उसकी
मैं : क्यों क्या जरूरी है ।
साक्षी : जरूरी है आप नाम बोलो तो सही
मैं : छोड़ो ये सब फालतू की बाते
साक्षी : आपको मेरी कसम ! नाम बोलो
मैं : आपको ही याद कर रहे थे
आप कॉल क्यों की थी
साक्षी : वैसे देख रही थी आप क्या कर रहे है।
कक्षा जाना था "इसलिए
मैं : और कुछ नहीं ना
साक्षी : नहीं
मैं : ठीक है मैं कॉल रखता हूं
साक्षी : एक बात भूल गई आप मुझे क्यों याद करते थे ।
मैं : किसी को याद भी नहीं करना चाहिए।
साक्षी : याद करना चाहिए " लेकिन आप मुझे क्यों याद कर रहे थे ।
मैं : आपको याद भी नहीं करना चाहिए।
साक्षी : मैं मना थोड़े की हुं " आप मुझे याद किसलिए कर रहे थे मैं भी तो जान लूं।
मैं : सच में जानना चाहती हो ।
साक्षी : हां
मैं : मना नहीं करोगी ना ।
साक्षी : नहीं
मैं : सच्ची
साक्षी : मुच्ची
मैं : देखो डांटना नहीं मुझे
साक्षी : अरे बाबा ! नहीं डाटूंगी " आप बोलो तो सही
मैं : हम दोनों की शादी के बारे में सोच रहे थे ।
साक्षी : मैं अभी बच्ची हूं।
मैं : मैं बूढ़ा हो गया हूं ।
साक्षी : ऐसी बात नहीं है।
मैं : तो कैसी बात है ।
सक्षी : अभी सही से एक दूसरे को जान तो ले
मैं : मैं कहां बोल रहा हूं अभी शादी करू । बस इसके बारे में सोच रहे थे ।
मैं क्या पसंद हु "तुम्हें"
सखी : आपको नहीं लगता
मैं : नहीं आप खुद से बोलो !
साक्षी : हां मैं भी आप से बहुत प्यार करती हूं।
मैं : बस यही सुनना था " हमें
साक्षी : आप हमें कभी छोड़ोगे तो नहीं
मैं : भरोसा है हम पर
साक्षी : तब ना आप से प्यार करती हूं
मैं : अभी मिल सकते है हम
साक्षी : कहां
मैं : जहां आप बोलो !
साक्षी : मेरे ही कमरा पर आ जाओ ।
मैं : ठीक है मैं पहुंच रहा हूं
साक्षी : ठीक है।
( मैं कॉल को काट दिए और उसके कमरा पर पहुंच गए ।
साक्षी जल्दी जल्दी बिस्तर बिछा रही थी ।
वो हमें देखी और शर्मा के बोली )
बैठिए !
( मैं बैठ गया और वो भी बैठ गई । हम दोनों थोड़ा थोड़ा मुस्कुराने लगे
वो सर झुका के मुस्कुरा रही थी ।
5 मिनट हो गया हम दोनों सिर्फ मुस्कुरा रहे थे ।
प्यार सच में अंधा होता है।
जब पास नही थे तो थक जाते थे बाते करते करते
जब हम दोनों समाने है तो कोई शब्द ही नहीं मिल रहा है ।
बात करने के लिए )
खीर बनाई हूं खाइए।
मैं : भूख नहीं है।
साक्षी : आ जायेंगे ।
( वो खीर निकाल कर एक थाली में दी और पानी भी और बैठ गई ।
मैं हाथ धो कर अपने हाथ से उसे खीर खिलाने के लिए हाथ आगे बढाया। वो थोड़ी मुस्कुरा कर मुंह हटा ली और फिर कुछ छान में मेरे हाथों से वो खीर बहुत प्यार से खाई
और वो भी झट से अपने हाथों से खीर लेकर मुझे अपने हाथों से खिलाई फिर शर्मा कर .......
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लेखक :- Shailendra Bihari
वो मुस्कान की बाबा क्या करू
उसके लिए मैं मर की भी जिऊ
आगे की बात आगे 👉👉👉
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