आज शाम हो गई साक्षी को कोई कॉल अभी तक मैं नहीं किया। वो गुस्सा हो रही होगी ।
मैं अभी कॉल लगता हूं।
साक्षी : हेलो ! कौन . . . . ?
मैं : अजनबी
साक्षी : आप हो मुझे नहीं बात करनी । एक छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा दी आपने ।
आप मेरे जान हो । लेकिन आप ही नहीं मानते ।
मैं : एक बार इजहार तो लेकर देखो आग में कूद जाऊंगा ।
साक्षी : और फेको . . . . . ।
मैं : चलो कुछ तो काबिल समझे आप मुझको ।
साक्षी : मैं आपको बहुत समझती लेकिन आपने मुझे कभी समझा ही नहीं।
मैं : बहुत समझे है । तुझे मैं अपने पत्नी के रूप में दुनिया के सामने स्वीकार करूंगा ।
और कुछ . . . . . ?
साक्षी : कब आयेंगे ये दिन !
मैं : वो मेरी प्रिय प्यारिसी साक्षी जी ।
आयेंगे वो दिन नहीं
लायेंगे वो दिन
तू दुल्हन सी सजी होगी
मैं बारात लाऊंगा
हौसला रख मेरी जान
मैं एक दिन जरूर आऊंगा
साक्षी : वाह वाह क्या बात है ,
कहां से कॉपी किए ये शायरी
मैं : अपनी कलम से ।
साक्षी : तो सुनो
किया कॉपी कहीं से भी
पर कह दिए दिल की बात
ऐ दूल्हे राजा मैं तो बन जाऊंगी रानी
पर कभी छोर ना देना मेरा हाथ
मैं :
भरोसा रख इस दूल्हे राजा पे
मैं सोऊंगा नीचे तुम्हें सुलाऊंगा पलंग पाजा पे
जब तुम कहोगी मैं खाऊंगी खट्टे इमली अचार
तब मैं कहूंगा जब थे ही नहीं जहां होना चाहिए
फिर किसका होने वाला है ये परिवार
साक्षी :
भरोसा रखो इस प्यारी सी पटवारी पे
भूल ना जाना इस राज के राजकुमारी के
ये अभी है ना पापा की पारी
शादी के बाद हो जाऊंगी पति के हाथ करी
मैं : ठीक है बाबा इतना शायरी तो महफिलों में भी नहीं होती ।
जब सामने होती तो पूरा शब्द भी मुंह से नहीं निकलती ।
साक्षी : आप से ज्यादा बोलती हूं।
मैं : केवल कॉल पर सामने तो हमें कान सटना परता है आपके मुंह के पास 😂
एक बात है साक्षी लेकिन जब हम दोनों के बीच प्यार नहीं हुआ था तो कितना बोलते थे लेकिन अब प्यार हो गया तो आधा ही बोलते है । आधा बात समझने के लिए कितनी बार पूछना पड़ती थी।
प्यार का मतलब ही शायद यही होता है प्यार करते हो तो आधी बात समझनी होगी ।
तो क्या जो आधी बात जो प्रेमी नही समझे उसका प्यार झूठा है ।
साक्षी : पता नहीं
हम दिनों आधा बोलते है ना तो हो गया सच्चा प्यार
दुनियां का क्या भ्योरा खोलना ।
मैं : हां ठीक है मन किया खोल दिया
मैं कल घर जा रहा हूं।
साक्षी : ठीक है। अपनी बात याद रखना।
मैं : कैसी बात
साक्षी : याद नहीं
मैं : नहीं ।
साक्षी : सच
मैं : मुच
साक्षी : तो छोड़ो।
कोई बात नहीं घर जा कर खूब खाना ।
मैं : ठीक है आप कहती हो तो ज्यादा खाएंगे ।
लेकिन कोई पूछ बैठे आज कल इतना ज्यादा क्यों खाते हो तो क्या कहें . . . ?
साक्षी : आप केवल बोलना मम्मी को सब पता है बुलाऊं।
फिर देखना क्या होता है।
मैं : अगर मम्मी ने पूछ लिया तो
साक्षी : ऐसा हो ही नहीं सकती ।
मैं : हो गई तो ।
साक्षी : तो बोल देना आपकी होने वाली बहू ने बोली है खाने के लिए ।
मैं : अरे मरवावेगी क्या
साक्षी : कभी ना तो कभी बोलना ही है । ये अच्छा बहाना है । बताने का
मैं : शादी के पूरा मामला में हम छुपे रुस्तम होंगे ।
ठीक है ।
नींद आ रही है । कल कॉल करूंगा ।
हां नंबर याद कर लेना
साक्षी : नंबर का गोदन गुदवा लूंगी ।
ठीक है ।
मैं : अरे इतना कष्ट उठाने की या जरूरत है।
ओके
सुबह रात्रि
Lekhak :- Shailendra Bihari
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