2 महीना बाद
हम दोनों एक दिल दो जान हो गए हैं ।
अब हम दोनों अलग रहा नामुमकिन हो रहे है ....।
कल त्योहार की छुट्टी होने वाले है ।
हम दोनों अभी एक साथ बैठ कर यही सोच रहे है की अब कैसे एक दूजे के बिना रहे क्योंकि 15 दिनों की छुट्टी होने वाली है ......।
साक्षी पूरी दुखी हो रही थी ।
मैं उससे बोले की आपसे मिलने जरूर आऊंगा ।
साक्षी : झूठ
मैं : नहीं सच्ची बोल रहा हूं . . . . . . . ।
साक्षी : खाओ मेरी कसम
मैं : तुझे विश्वास नहीं मुझ पर
साक्षी : नहीं ! आप कसम खाओ तभी मैं कल घर जाऊंगी ।
मैं : लो खा ली खुस
साक्षी : हां
मैं : कसम तो खा लिए लेकिन आऊंगा कैसे ।
साक्षी : वो मुझे नहीं मालूम आपको आना है तो आना है बस ।
मैं : चलो देखा जाएगा।
ठीक है मैं अभी अपने कमरा पर जाता हुं।
साक्षी: नहीं ।
मैं : क्यों ?
साक्षी : आज यहीं रुक जाओ।
मैं : हम दोनों के लिए इसके आगे ठीक नहीं रहेगा ।
साक्षी : कुछ नहीं होगा सब मेरे ऊपर छोर दो ।
मैं : बोला ना मैं नहीं
( वो रोने लगती है)
और बाबा इसमें क्या गलत बोल दिया मैं ।
साक्षी : मुझे नहीं सुनना जो मन कर वही करो ।
मेरी बात को तो कोई मतलब ही नही देते हो।
मैं : अरे मतलब बनते है लेकिन अभी ठीक नहीं रहेगा।
यहां रुकना ।
साक्षी : अभी क्या हुआ है सो
आप जाने चाहते हो ना तो जाओ।
मैं : आप रोएगी तो मैं कैसे जा पाऊंगा।
साक्षी : हम रोए या चिल्लाए आपको उससे क्या।
मैं : आप रोएगी तो हमें कुछ नहीं होगा ।
साक्षी : नहीं नहीं नहीं नहीं
मैं : मेरा नंबर याद है तुम्हें।
साक्षी : नहीं
मैं : क्यों ?
साक्षी : फोन में सेव है इसलिए।
मैं : लॉक खोलो ।
साक्षी : क्यों ?
मैं : वैसे खोलो तो सही
साक्षी : लो खोल दिया।
मैं : लो फोन
साक्षी : फोन में क्या किया आपने
मैं : नंबर डिलेट कर दिया अपना
साक्षी : क्यों किए ।
मैं : आप बोली रोएगी तो मुझे कुछ नहीं होगा । कुछ होगा ही नही तो नंबर रखकर क्या फैदा।
अब मैं जाता हुं।
साक्षी : सुनोना माफ कर दो।
मैं : मैं कसम खाया हु ना वही निभाने मैं आऊंगा आपसे मिलने उसके बाद कुछ नहीं।
( मैं वहा से चल दिया वो बुलाती रही ।
मैं खाना खा के सो गया सुबह जब उठा तो देखा साक्षी खरी है । दरवाजा पर )
मैं : आप यहां
अंदर आओ
( वो अंदर आई मैं उससे लिपट गया। वो रोने लगी और बोली मुझे अपने से कभी अलग मत करना । )
मैं : नही करूंगा माफ करो मुझे मैं आपके बारे सोच कर बहुत दुखी था कल ।
साक्षी : मैं जा रही हूं ; अभी
मैं : इतना जल्दी
साक्षी : अभी ट्रेन है ।
मैं : ठीक है चलो मैं छोर आता हूं।
( मैं उसके सामान लेकर आगे आगे वो मेरे पीछे आ रही थी। ट्रेन आई वो चढ़ कर बोली )
साक्षी : नंबर ?
मैं : आप जाओ मैं कॉल करूंगा ।
साक्षी : ठीक है भूलना मत !
मैं : ठीक है।
वो चली गई मैं कमरा पर आकर सोच रहे थे।
कॉल करू उसे थोड़ा तरपाऊ।
मैं साक्षी को दुखी नहीं देखना चाहता।
अब मैं शाम को कॉल करूंगा ।
वो आई कहां से कहां चली गई ।
ना जाने वो मेरी नींद चैन सब उड़ा ले गई । ।
Lekhak :- Shailendra Bihari
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