पानी की अहंकार , Paani Ki Ahankar, Hindi Motivational Poem | हिंदी कविता

बादल गरजा फिर बरसता पानी 
पेड़ पौधे झूम उठे जैसे आया जवानी

हर जीव जीने के लिए पीते पानी 
बादल गरजा फिर वर्षा पानी 

आए बादल काले काले 
बूंदे गिरती हाले हाले 
बह गई पानी नाले नाले 
नदियां भरी पानी मारे उछाले 
जीव जंतु को फिर संकट में डाले

इतनी क्यों बरसता पानी
कभी सूखे तो कभी डुबोता पानी 

कहीं सूखे की मार 
कहीं पानी बिना लगे बुखार 
कहीं धरती तपती धरती पटती
कहीं जीव जंतु पानी बिन मरती 

लेखक : शैलेंद्र बिहारी 

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