हम फौजी हिंदुस्तानी । Short story in Hindi । देश भक्ति हिंदी कहानी

 

मैं फौजी
            अजय प्रताप
मुझे बचपन से ही फौजी बनने की आस थी ।
मैं 12वीं से पहले ही अपने देश की सेवा करने के लिए पूरी मेहनत करता था ।
रोज सुबह 4 बजे मैं अपने देश की सेवा करने के लिए पूरी तैयारी कर रहे थे।
एक बार फौजी का भर्ती दिनांक आया , मैं उसी रोज अपने फॉर्म भरवा लिया, और पूरी तैयारी में जुट गए ।
तैयारी जोरों से चल रही थी।
अब दौड़ का समय निकट आ गया था।
मुझे रातों की नींद चली गई थी हर रोज अपने देख के बारे में सोच रहा था।
आतंकियों के हमले ने मुझे अंदर ही अंदर खून खौला रही थी।
मन करता था बिना फैजी बने ही एक एक को चुन चुन कर मारू 
अब दौड़ भी निकट आ गया था मैं पूरी तैयारी के साथ खरा था
कल दौड़ है मुझे अपने आप पर पूरा भरोसा है।
रात हो गई है मुझे नींद नहीं आ रही है की कल क्या होगा ।
किसी तरह मैं सो पाया और सुबह हो गया है।
सभी लोग दौर के कैंप्स में पहुंच गए हैं मैं भी वहां पहुंच गया हूं ।




कुछ देर में दौर शुरू होने वाली है बहुत विद्यार्थी पहुंच गए हैं कुछ अभी भी आ रही है 10 मिनट मात्र बचा है ।

उधर इसारा हो गया है सभी विद्यार्थी तेजी से दैरने लगे हम भी दौर रहे है।
हम अभी सभी सबसे आगे है । तीन राउंड हो गए है हम अभी सबसे आगे है ।
चौथे राउंड हो गए है , मुझसे दो विधार्थी आगे हो गया है।
अंतिम राउंड है ये सभी विद्यार्थी तेजी से दौर रहे है, मैं अभी छठे स्थान पर है अब मंजिल 20 मीटर की दूरी पर है  ।
5 मीटर आते आते किसी ने मुझे धक्का दे दिया।
जब तक मैं उठाता तब तक रस्सी गिर गई ।
हम दौर में ही छट गए । मुझे धक्का देने वाले पे गुस्सा भी आ रहे थे फिर लगा भाग्य में देश सेवा नहीं लिखा है शायद ।

फिर लगा आगे ऑप्शन है । देश सेवा में सलेक्ट होने के लिया ।
हम बहुत निरास हो गए थे।
अपने आप से थोड़ा नफरत होने जैसे लग रहे थे।

फिर भी मेहनत जारी थी ।
फिर 6 महीना में भर्ती जारी करेंगे ।

6 महीना बीत गए है। 2 दिन बाद फिर दौर है
अबकी बार पूरी कोशिश रहेगी ।
समय आ गया है दौर का सभी जगह से विद्यार्थी आ गए है ।
मैं भी आ गया हु । दौर का इशारा हो गया है ।
सभी दौर रहे है मैं 3 स्थान पर आगे हु ।
देखते ही देखते अंतिम राउंड आ गया सभी और तेजी से आगे बढ़ रहे है।

मैंने मन ही मन सोच लिया । अभी थोड़ा सा भी ज्यदा दौड़ेंगे तो देश की सेवा का मौका हाथ से नहीं जाने देंगे ।
मैं पूरा जोर लगाकर अंतिम राउंड में सबसे आगे आ गया देखते ही देखते सबसे आगे मैं पहुंच गया ।
अब दौड़ हो गया थोड़े दिन बाद मेडिकल और कई तरह के टेस्ट लिए मैं सबमें पास होता गया ।

कुछ दिन बाद डाक द्वारा ज्वाइनिंग लेटर आया ।
मैं बहुत उत्साहित थे ।
दोस्तो ने पार्टी मांगी सबों को धूम धाम से पार्टी दिए ।
और निकल गए। ड्यूटी पर
वहां भी आईडी कार्ड और कुछ इधर उधर किए और ट्रेंडिंग में कुछ दिन रखे फिर सीमा पर दे दिए ।
मैं बहुत खुश था।
1 वर्ष हो गए अभी तक कोई हमला या इधर उधर वाला मामला नहीं आया ।
अचानक एक दिन हम लोगों के कैंप पर बम धमाके की आवाज आई और गोली की आवाज आई।
मैं दौर कर इधर उधर देखा मुझे झंडी के पास 5 आतंकी दिखाई दिए ।
मेरे ग्रुप के कई सैनिक शहीद हो गए ।
वहां एक राइफल रखा था ।
हम थोड़े ओझल होकर दो राइफल को अच्छी से थाम लिए, और गोलियां बरसानी लगे तीन आतंकी को वहीं पर ढेर कर दिए । 2 भाग गया वहां से उसके पीछे पीछे 3 KM जंगल के अंदर चले गए । वहां एक नदी था ।
नदी पार होने के लिए आतंकी नाव निकले मैं एक पत्थर पर दौनों राइफल रख कर भून दिए ।
मैं वहीं बैठ गया एक लाश को मैं तैरते देख रहा था ।
लेकिन दूसरा नजर नहीं आ रहा था ।
नाव धीरे धीरे बह रहा था ।
हमें लगा एक आतंकी जिंदा है । लेकिन उसे छोड़ते कैसे सैयद वो नाव में ही छिपे थे ।
मैं नाव के पास गया । अचानक एक आतंकी गोली फायर कर दिए । मैं छिप लिया और मैं नाव से कूदा लेकिन मेरा पैर फस गया ।
नाव से नीचे मेरा शरीर और सिर हो गया ।
मेरा पैर निकल ही नहीं रहा था । वो आतंकी को भी गोली लगा था । पैर में उसे भी वो भी खरा नहीं हो पा रहा था ।
वो 5 गोली मेरे पैर में भून दिए ।
उसका गोली समाप्त होने की आवाज आई मैं किसी तरह सर ऊपर किए सारी की सारी गोली उसके शरीर में भून दिए ।
मैं बेहोश हो गया ।
8 दिन के बाद होश आया तो हॉस्पिटल में मैं अपने आप को देखा ।
सबसे पहले मेरे एक पैर नहीं थे ।
मुझे आंख से आंसू गिरने लगे मेरे सभी परिवार भी खूब रोने लगे किसी तरह मैं अपने आप को शांत किया ।
कुछ दिन बाद मुझे मेडल मिला और मुझे घर भेज दिया गया ।
अभी मैं 58 साल का हो गया हूं
मेरे दो बेटे भी फौजी में है ।
और इसी तरह मेरा जीवन यापन चल रहा है।


Lekhak: Shailendra Bihari 

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