सातवें दिन
मैं साक्षी के लिए एक कमरा खोज चुका वो मेरे लॉज से थोड़ा नजदीक है ।
साक्षी अभी कॉल कर है ।
मैं : हेलो !
साक्षी : कैसे हो ।
मैं : मैं ठीक हु । आप कैसी हो ।
साक्षी : मैं भी ठीक हुं। खाना खाया आपने ?
मैं : नही अभी नहीं
साक्षी : तो कब 12 बज गए है ।
मैं : ठीक है खा लूंगा ! आप खाई ।
साक्षी : हां खा ली मैं।
मैं : चलो ठीक है। कमरा खोज लिया हूं मैं
साक्षी : कहां
मैं : मेरे लॉज के बगल में।
साक्षी : दूसरे जगह नहीं मिला क्या
मैं : नहीं चाहिए तो दूसरे जगह भी खोज देंगे
साक्षी : नहीं रहने दीजिए वहीं ठीक है।
मैं : ठीक है, सामान सभी इकट्ठा कर लो शाम को हम आ रहे है । सामान लाने
साक्षी : ठीक है , आप पहले खाना खा लो
मैं : ठीक है, कॉल रखो अब
साक्षी : ठीक है ।
( शाम हो गया है। सभी समान मैं नया कमरा में रख दिए है । सखी बैठी हुई मुझे घूर रही है और मुस्कुरा रही है। )
मैं : ठीक है तो हम जा रहे हैं।
साक्षी : आप मेरे लिए ये सब क्यों करते हैं ।
मैं : वैसे मन किया तो कर दिए ।
साक्षी : एक बात आपको बतानी है।
मैं : क्या
साक्षी : कॉल पर बताऊंगी ।
मैं : नहीं अभी बोलो ना
साक्षी : नहीं कॉल पर ( साक्षी मेरे हाथ पकड़ कर बोली रुक जाओ ना आज यहीं)
मैं : नहीं कुछ काम है हमें
( साक्षी उदास सी हो गई और धीरे धीरे हाथ छोड़ दी मुझे उस समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था सखी के भोलेपन चेहरा मुझे आकर्षित कर रही ।
मैं कुछ सोच भी नहीं पा रहा था ।
वो मुझे घूर कर एक टेक ही देख रही थी ।
मन कर रहा है जान भी निछावर कर दू इस पल के लिए तो कोई गम भी ना होता ।
मैं बिना कुछ कहे जाने के लिए मुरे ही साक्षी जल्द ही मुझ में लिपट गई । मैं पूरा पशिना पशीना हो गया था , पूरे शरीर में मानो बिजली सी दौड़ रही थी ।
मैं उसे छुरा दी )
ठीक है मैं चलता हूं । कोई भी जरूरत पड़े कॉल करना ।
साक्षी : ( करुणा भरे स्वर में बोली ) ठीक है ।
मैं अपने कमरा पे आ गया हु , और कुछ करने में मन नहीं लगता है । हमें साक्षी की याद आ रही है । अभी मैं उसके ही बारे में सोच रहा हूं , मन करता है क्यों चले आए ।
आज वहीं रुक जाते तो क्या होता ।
फिर सोच रहा हूं कुछ गलत हो जाते तो
मानो 5 दिन में ही इतना प्यार कैसे हो जाता है ।
मन कर रहा है उसे पलोकों पर बिठा के रखु, उसे कोई तकलीफ ना हो ।
उसकी सारी मुसीबते मेरे हो जाए
और उसके मुस्कान और प्यार भरी करुणाहट आंखे मैं भूल नहीं पा रहा हूं, उसकी आंखे ही हमेशा देखते रहूं ।
उसे अपने पास से कभी जुदा ना होने दू ।
उसके लिए मैं मर मीटू।
मुझे उससे बात करने का मन कर रहा है । लेकिन रात बहुत हो चुकी है , नींद तो आ ही नहीं रही है । हमेशा उसके बारे में सोच सोच कर मुस्कुरा रहा हूं ।
कोई प्यार वाला उदाशीन गीत लगा के सुनू तो सयाद नींद आ जायेगी ।
उसकी आंखे ऐसा नम गई
मेरा आंख उसकी आंखें में थम गई
जी नहीं करता की तुझे दूर रखूं
मन करता है तुझे सीने में चूर रखूं
आगे की बात आगे 👉👉👉
नोट : इस भाग में कोई शब्द गलती हो तो माफ करें
ये भाग मैं पढ़ना नहीं चाहता ।
प्यार है ही ऐसी चीज
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