समझौते का प्यार (भाग 20 ) Love Story । Contract Merriage Story । हिंदी कहानी

 

                              अगले दिन

मैं पूरी तरह से तैयार हो गया हूं। साक्षी की कॉल आई बोली दुकान के पास आओ साथ में चलना है।
मैं दुकान के पास के पास साक्षी खरी थी दुकान के पास वो साथ से इशारा की मैं पहुंच गया।
साक्षी : क्या आप लिख पाओगे !
मैं : पता नहीं लगता तो नहीं पर कोशिश करेंगे ।
साक्षी : नहीं होगा छोर दो मैं भी छोर दूंगी ।
मैं : दिमाग खराब है। मैं तुम्हारे लिए आया हूं।
    नहीं तो आज हम नहीं आते इस हालत में
साक्षी : नहीं होगा चलो हॉस्पिटल
मैं : जैसे भी आज हम दोनों को परीक्षा देना है।
     चलो ।
साक्षी : यार मान जाओ ना
मैं : नहीं
साक्षी : मेरे लिए ।
मैं : आज किसी के लिए भी नहीं ।
    ( हम दोनों परीक्षा हॉल के पास पहुंच गए)
साक्षी : अभी भी समय
मैं : बस करो
साक्षी : मैं नहीं जाऊंगी
मैं : यार गुस्सा मत दिला
          थोड़ा सा भी दिमाग है कि नहीं
           फिर कल ही वाला बात कर हो




साक्षी : आप जाओ मैं नहीं जाऊंगी
मैं : मैं तो जा रहा हूं, लेकिन आज का परीक्षा छूटा तो मुझसे बुरा तुम्हे कोई नहीं होगा ।
समझ लो
( मैं अंदर चला गया अपने हॉल में जा कर बैठ गया ।
थोरी देर में परीक्षा सुरु हुई। मेरे पास एक लड़का बैठा था बोले क्या हुआ दोस्त हाथ में , यार हांथ जल गया कल परीक्षा के बाद, लड़का बोला आप धीरे धीरे लिखना मैं अपना कॉपी भर कर आपको भी जितना होगा भर देंगे , ठीक है दोस्त ........…...........
परीक्षा समाप्त हो गया उस लड़के ने आधा कॉपी भर थोड़ा हम भी भरे थे ,
मैं हॉल से निकल रहा था साक्षी भी निकल रही हम दोनो पास आ रहे थे )
साक्षी : कैसा रहा परीक्षा
मैं : बहुत अच्छा
साक्षी : दर्द भी हो रहे थे ?
मैं : थोड़ा हम लेख पास में लड़का बैठा था वो आधा कॉपी भर दिए ।
साक्षी : कमाल हो गया ।
          मेरी पूरा समय आप पर ही ध्यान थी
मैं : चलो सी
साक्षी : रात में खाना कैसे खाए ।
मैं : चम्मच से
साक्षी : आज हाथ से चलो खिलाऊंगी ।
मैं : मुझे नहीं खाना
साक्षी : मुझे भी नहीं खाना
मैं : तो मत खा
साक्षी : दिखा दूंगी
मैं : आखिर कब तक
साक्षी : जब तक कोई हाथ से खा न ले
मैं : मैं तो झुकेगा नहीं साला
साक्षी : मैं भी झुकेगी नहीं साला
मैं : कुछ ज्यादा हो रहे है।
साक्षी : सच में कुछ ज्यादा ही लोग आजकल भाव खा रहे है।
मैं : और दिमाग भी
साक्षी : सच्ची
मैं : ठीक अब जाओ मैं भी चला जाता हुं ।
साक्षी : सब बात याद है ना
मैं : देखो मेरे कमरा पर ले जा नहीं सकता , तुम्हारे कमरा पर हम जा नहीं सकते, होटल के लिए मेरे पास रुपया है नहीं। सभी रास्ते व्यस्त है।
साक्षी : मेरे पास है ना
मैं : दो चार रुपया से कुछ नहीं होगा।
साक्षी : 10 आदमी को होटल में बिठा कर खिला सकती हूं। इतना है अभी मेरे पास
मैं : शादी के बाद मैं नहीं कमाऊंगा, इसलिए अभी से बचा कर रखो
साक्षी : वो बाद में देखेंगे ।
          बैठो कुर्सी पर
          खाना के ऑडर देकर आती हूं ।
मैं : ठीक है।
    ( थोड़े ही देर में खाना आ गए )
    ( साक्षी बैठ गई खाना मिलाकर हाथ आगे बढ़ाई )
अबे लोग और है ।
साक्षी : लोग से क्या लेना अभी जो दर्द हो रहे वो सभी लोग को थोड़े हो रहे । चलो खाओ
( वो अपने सातों से मुझे खिला रही थी मैं रुक गया)
क्या हुआ।
मैं : मुझे भी मन कर रहा है तुम्हे खिलाने का
साक्षी : ठीक है पहले ठीक हो जाओ उसके बाद जैसे मन करे वैसे खिलाना ।
(खाना खा लिए हम दोनो अपने अपने रास्ते चले गए )


Lekhak:- Shailendra Bihari 


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