आज सुबह हुआ मैं घर जा रहा हूं ।
साक्षी की याद आ रही है , एक बार कॉल ही कर लेता हूं।
कॉल जा रही है . . . . . .।
मैं : हेलो
उधर से : कौन
मैं : मनोज है ।
उधर से : तुम कोन हो
मैं : सुरेश
उधर से : देखो झूठ मत बोलो नंबर सेव है इस फोन में अमरजीत नाम है ना
मैं : हां
उधर से : क्या काम है साक्षी से
मैं : कुछ नहीं बस ऐसे ही
उधर से : तुम साक्षी से कहा मिले
मैं : आप कौन है साक्षी के पहले ये बोलिए ।
उधर से : उसका पापा हुं मैं
मैं : ठीक है सर अभी मैं कॉल रखता हूं। कुछ काम है हमें
उधर से : काम पर ही ज्यादा ध्यान दो तो बेहतर है।
मैं : जी सर
( कॉल काट दिया वो मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई है अब साक्षी को क्या होगा उसे सैयद डांट खाना न परे यही सोच के मैं परेशान हो रहा हूं। )
मैं घर पहुंच गया हु । खाना सब खाके घूमने निकला तो देखा की साक्षी की कॉल आ रही है।
मैं : हेलो
साक्षी : क्या कर दिया आपने
मैं : क्या किया मैं
साक्षी : आप पापा से बात किए आज
मैं : हां
साक्षी : क्या सब बोले आपको
मैं : नाम पूछे और बोला क्या काम है साक्षी से और कहा मिले
आपको कुछ बोले तो नहीं
साक्षी : बोले कौन है वो मैं बोली दोस्त फिर बोले क्यों कॉल किया था । मैं बोली मैं उसे बताए बिना कॉपी लेकर चली आई हूं। फिर बोले देखो बाहर में अकेली रहती हो हम देखने नहीं जाते है बांकि तुम्हारा धर्म पापा की इजत बनाना या उछालना
यही सब बोले
मैं : सब मेरे वजह से हुआ ।
साक्षी : दरअसल गलती मेरी है ।
अब मैं ऐसे मोर पर हूं ना आपको भुला सकती ना पापा को छोर सकती
मैं : मुझे भुला दो पापा फिर कभी ना आयेंगे ।
साक्षी : आप दोबारा आओगे क्या
मैं : सब एक ही बार आते चाहे कोई भी हो
साक्षी : तो मैं कैसे आपको भुला दूं ;
मैं : भूलना तो पड़ेगा
साक्षी : क्या इसी लिए प्यार किया
मैं : मजबूरी प्यार को भी खा जाती है
साक्षी : आप यही कहना चाहते है की आपके प्यार को मैं खा लूं
मैं : ऐसा ही कुछ समझो
साक्षी : डरपोक हो आप
मैं : डरपोक की बात नहीं है यहां
साक्षी : नहीं है तो मैं अपने हाथों में मेंहदी आपके ही नाम रचूंगी ।
हिम्मत है तो डोली में बिठा कर ले जाना भागना मत
मैं : आप कहे तो कुछ भी करूंगा लेकिन हम दोनों की वजह से किसी का दिल नहीं दुखना चाहिए ।
साक्षी : मैं भी यही चाहती हूं लेकिन मुझे नहीं पता आप क्या करो बस हम दोनों की सात फेरे एक साथ होनी चाहिए ।
मैं : मेरा अंतिम छन तक बिना किसी के दिल दुखाए ये प्रयास जारी रखूंगा ।
साक्षी : बस यही एक उम्मीद है ।
आप कहां हो अभी
मैं : घर पर आ गया हूं आज
साक्षी : आओगे नहीं
मैं : कहां
साक्षी : सब भूल गए इतना जल्दी
मैं : सब याद कल आ रहा हूं।
साक्षी : कहां
मैं : आपके घर पर
साक्षी : मार खाने का मन है
मैं : मुझे कौन मारेगा ।
साक्षी : क्या मेरा यहां कोई नहीं है ।
मैं : लेकिन मुझे नहीं मारेगा मैं पहले बोल दूंगा मैं आपका होने वाला दामाद हूं।
साक्षी : तब तो खूब खिलाएंगे मेरे धर वाले आपको मिठाई
मैं : अभी नहीं तो एक न एक दिन जरूर खाऊंगा आपके घर वाले से मिठाई ।
साक्षी : मिठाई खाने के लिए आपको आगमी बधाई ।
मैं : जरूर
साक्षी : ठीक है कल बात करूंगी मैं ।
मैं : ठीक है
Lekhak: Shailendra Bihari
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