आई उसकी पहली रिंग
दिल में बजा गिन गिन गिन
उससे प्यार का हुआ इजहार
हम दोनों को लगा प्यार की बुखार
हम दोनों बातें करते रातो दिन
न जाने प्यार का रंग क्यों होने लगा मलिन
मुझ पर एक बड़ी आफत आई
उनसे मैं एक गुहार लगाई
दे दो 7 हजार एक महीन
उसकी कॉल आई न कई दिन
उनके दोस्त को गुहार लगाई
वो जाकर उससे बात कराई
उसने मुझे फटकार लगाई
अंतिम कॉल का प्रवचन सुनाई
लगा मुझे 1 हजार वोल्ट का झटका
तभी मैंने आपने फोन को पटका
उसकी कॉल कभी ना आई
अंतिम कॉल का रिंग अभी भी दे रहा सुनाई
लेखक :- शैलेंद्र बिहारी
Shailendra Bihari Kavita
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